नील और अतिनील / ईवा सेन

नील और अतिनील में होड़  है।

कौन रहेगा प्यार के शून्य में 

इनका युद्ध जैसे अपनी छाया से युद्ध कि

जय पराजय पर दोनों का अधिकार

जो निकल जाएगा युद्दभूमि के पार 

लाँघेगा सीमा 

अतिरेक की तरह चला जाएगा विस्तार की तरफ़ 

वही बनेगा अतिनील 

जीतने से ठीक पहले दबाई गई चीख़ है अतिनील 

 

ईवा सेन कोलकाता में रह कर हिंदी में लिखती हैं। जल छाया नाम से एक NGO चलाती  हैं जो बच्चों की पढ़ाई में मदद करती है  

 

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